सुराज के गम्मत गीत
Suraj Ke Gammat Geet Cg Kavita
पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र
भैया भैया सुराज अब तो दसा ला सुधारा रे।।१।।
गोरा के राज जबर दुख पाएन। जम्मोच डहर ठगातेज आएन।।
धन और धर्म दुनों ला गांवाएन। ठल्लक राज ला आखिर पाएन।।
कइसे रहेन अउ कइसे भएन अब-
देख अउ आंखी उघारा रे।। भैया भाइगे०।।२।।
किसिम किसिम दुख पाएं संगी। खाये पिये के अड़बड़ तंगी।।
चारों डहर ले होथे लफंगी। अब झन करिहा थोरको ढिलंगी।।
देश के डोंगा परे भवसागर-
डूबय जन मंझदार रे।। भैया भइगे०।।३।।
गांवन गांव मा मेल करावा। सहर ले सुंदर सोर लगावा।।
देस-विदेस के गोठ सुनावा। परजा के राज ला परजा सम्हारे--
बिनती 'विप्र' हमार रे।। भैया भइगे ।।४।।
- पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र
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