गांधी के गोहार Gandhi Ke Gohar CG Poem Kavita DP Vipra Poem
गांधी पारै गोहार-गांधी पारै गोहार, हिंदू मुसलमां - माना रे।।
भाई के बेवहार-भाई के बेवहार, दूनों बरोबर जाना रे।। गांधी...।।१।।
भारत माता के दूनों बेटा। लड़ लड़ के झन काम ला मेंटा।।
लटपट देश सुतंत्र भये है। अड़बड़ दुख ला गांधी सहे हे।।
जुर मिल के अब जीया जुड़ावा, चैन की बंसी बजाना रे। गांधी पारै..।।२।।
विपत ऊपर विपत झेलिस।
हमरेच खातिर सब ला पेलिस।।
एक करेबर जीव गांवाइस। जीयत भर सबला जुड़वाइस।।
तौनों ला बैरी गोली मा मारिस। तेला का गोठियाना रे।। गांधी पारै।।३।।
जात पात के भेद ला टारी। ओखर काम ला रखिहा जारी।। सुन के सरग मां होही सुखारी।
जम्मोच भिड़जावा एक्के दारी।। तबभेच गांधी ला घर-घर पाबो, अतके ला पक्का जाना रे।। गांधी पारै।।४।।
- पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र
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