Deshhit Jeebo Sangi CG Poem | Sunil Sharma CG Kavita
देशहित जीबो संगी,संगवारी जुरमिल
देशहित त्याग देबो अपन परान जी
अंचरा म भारती के आंच झन आय कभू
सुरता भुलाहु झन रखे रिहु ध्यान जी
बैरी देशद्रोही मन थर थर कांप जाय
लहू म उबाल सदा रखहु ईमान जी
लहर लहर तीन रंग के तिरंगा उड़े
चूमत अगास रहे इही अरमान जी!!
- सुनिल शर्मा "नील", थान खम्हरिया
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