मोर महतारी Mor Mahtari CG Kavita | Cg Poem | CG Author
आजादी के तिहार मानबो
जम्मो बहिनी मिल के गाबो
जन गण मन अपनाबो,
तिरंगा धर के जाबो,
सहीद भाई के गुन गाबो,
भारत माँ के लाज बचाबो।
आजादी के तिहार मानबो,
जम्मो झि मिलके गाबो।
छत्तीसगढ महतारी के मान बढाबो,
वीरनारायण सिंग,ठा. प्यारेलाल,
खूबचन्द बघेल कस क्रांतिकारी,
लोगन मन के इहां किस्सा सुनाबो।
आजादी के तिहार मानबो,
जम्मो झि मिलके गाबो।
सहकारी आंदोलन सन्धि जुग अउ,
छत्तीसगढ़ सम्मान के सुरता कराबो,
लोगन मन ल अत्याचार ले बचाए ख़ातिर,
सहीद वीरनारायण के समर्पण बताबो।
आजादी के तिहार मानबो,
जम्मो झि मिलके गाबो।
भारत मे हमन झंडा फहराबो,
हमर भाखा के महत्तम बताबो,
छत्तीसगढ़ी म पढ़ाई करवाबो,
हिमालय कस खड़े हो जाबो।
आजादी के तिहार मानबो,
जम्मो झि मिलके गाबो।
आँखी झन देखा रे बिदेशी,
तोर आँखी के भरता बनाबो,
छत्तीसगढ़िया हन छत्तीसगड़ी गीत गाबो,
तुंहला तुंहर गांव के रद्दा देखाबो।
आजादी के तिहार मानबो,
जम्मो झि मिलके गाबो।
- निर्मला ध्रुव, बिलासपुर
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