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बड़ मयारू मोर महतारी Badh Mayaru Mor Mahtari Dilip Tikariha CG Poem Pirda Bemetra

 Badh Mayaru Mor Mahtari Dilip Tikariha Pirda Bemetra

बड़ मयारू मोर महतारी Badh Mayaru Mor Mahtari Dilip Tikariha CG Poem Pirda Bemetra
Badh Mayaru Mor Mahtari Dilip Tikariha

सरग हे एखर एड़ी के धोवन

चारों मुड़ा हे शोर जी

बड़ मयारू मोर महतारी, अइसन धरती मोर जी


अरपा, पैरी, महानदी जस, गंगा धार बोहावत हे

वीर नारायण कस बेटा बर, दाई गोहार लगावत हे

सुंदरलाल- खूबचंद जस बलिदानी ल

दुलारिस अचरा के छोर जी

बड़ मयारू मोर महतारी, अइसन धरती मोर जी


छत्तीसगढ़ कोशल कहलाथे, छत्तीसगढ़ महतारी जी

सुम्मत के रद्दा मा चलथे, इंहा के सब नर नारी जी

सरन परे ला सम्बल देथे, बांधे मया के डोर जी

बड़ मयारू मोर महतारी, अइसन धरती मोर जी


बाल्मिकी- शबरी के कुटिया, भक्ति के जोत जलाथे जी

जात-पात के भेद नई हे, मया संदेश सुनाथे जी

अंधियारी अब छंटगे संगी, जुग- जुग ले लागे अंजोर

बड़ मयारू मोर महतारी, अइसन धरती मोर जी


- दिलीप टिकरिहा, पिरदा, बेमेतरा

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