Bilaspur information बिलासपुर शहर भारत का छत्तीसगढ़ राज्य का एक जिला है यह रायपुर शहर से 92 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित है इस शहर में छत्तीसगढ़ की उच्च न्यायालय स्थित है इसी कारण इसे छत्तीसगढ़ की न्यायधानी कहा जाता है.
Bilaspur बिलासपुर शहर हथकरघा और दुबराज चावल की एक वैरायटी के लिए प्रसिद्ध है. और यहां विभिन्न प्रकार के संस्कृति भी विद्यमान है जो बिलासपुर शहर को अनेक विविधताओं एवं रंगों से समाहित किए हुए हैं
बिलासपुर का नाम बिलासा बाई केवटिन के नाम पर रखा गया है, इसका जिक्र 1902 के गजेटियर में भी किया गया है.
गजेटियर के एक अंश में 350 साल पहले एक मछुआरन बिलासा के नाम पर इस शहर के नामकरण होने की बात कही गई है. बिलासपुर को बिलासा नाम की एक केंवटिन के नाम पर रखा गया है. इस बात का जिक्र भूगोल की पुस्तकों में भी देखा गया है.
बिलासा जहां रहती थी उस जगह बिलासपुर के पचरीघाट के रूप में जाना जाता है. पचरीघाट में ही बिलासा की समाधि भी बनी हुई है. बिलासा को लोग देवी स्वरूप पूजते भी हैं.
जानकारों की मानें तो देवार लोकगीतों में भी बिलासा के जीवन का वर्णन हुआ है.लोक साहित्यों में बिलासा के कृतित्व का जिक्र किया गया है. जानकार बताते हैं कि बिलासा एक मजबूत इरादों वाली और प्रगतिशील मानसिकता वाली महिला थी. बिलासा ने कुरितियों और रूढ़िवादी मानसिकता पर भी करारा प्रहार किया था.
पराक्रमी बिलासा बाई
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ की राजधानी रतनपुर हुआ करती थी, उस समय कलचुरी शासक राजवंश राजा कल्याण साय का शासन हुआ करता था |
राजधानी दिल्ली में मुगल बादशाह जहांगीर सत्ता संभाले हुए थे, उन दिनों जंगल की पशुओं का शिकार करना राजाओं का प्रमुख शौक होता था इसी शौक के कारण 1 दिन राजा कल्याण साय अपने कुछ सैनिकों के साथ बिलासपुर जिले की अरपा नदी के किनारे जंगल पर शिकार करने पहुंचे. शिकार करते करते वहां इतना मग्न हो गए हैं कि उनको कुछ पता ना चला और वह जंगल के बीच घने जंगल में पहुंच गए |
उनके सैनिक पीछे छूट गए राजा को अकेला देख अन्य जंगली जीव उन पर हमला कर दिया, राजा जमीन पर गिर गए बिलासा बाई घोड़े की आवाज सुनकर जंगल की ओर भागी. उसने वहां पर वन्यजीव का मुकाबला किया इसी कारण बिलासा बाई की पराक्रम की वजह से राजा जंगली जीव के शिकार होने से बच गए.
बिलासा बाई का सम्मान
बिलासा बाई की इस पराक्रम और साहस से खुश होकर राजा कल्याण साय ने बिलासा का सम्मान किया, राजा के आदेश पर बिलासा बाई को सैनिक वेशभूषा में घोड़े पर सवार होकर रतनपुर बुलाया गया.
उस समय छत्तीसगढ़ की राजधानी रतनपुर हुआ करती थी राजा ने सम्मान के स्वरूप में बिलासा बाई को अरपा नदी के दोनों किनारे की जागीर सौंप दी थी बिलासा के इस ग्रुप का वर्णन कवियों ने समय-समय पर अपने अपने शब्दों में किया है
इस तरह बिलासा बाई अपने शौर्य और पराक्रम की वजह से एक उभरती हुई नेतृत्वकर्ता के रूप में सामने आई. बिलासा बाई की पराक्रम की प्रशंसा दिल्ली तक भी पहुंच गई थी
जब तत्कालीन दिल्ली के शासक मुगल बादशाह जहांगीर ने रतनपुर के राजा कल्याण साय को आमंत्रित किया राजा कल्याण साय से बिलासा बाई और अपने पराक्रमी योद्धाओं के साथ दिल्ली राज्य पहुंचे वहां पर दिल्ली शासक के पराक्रमी योद्धाओं के साथ बिलासा बाई का मुकाबला भी हुआ था हर मुकाबले में बिलासा बाई वीर साबित हुई इसी कारण बिलासा बाई के पराक्रम की चर्चा दिल्ली तक भी पहुंच गई|
वीरगति प्राप्त
बताया जाता है कि एक बाहरी शासक ने बिलासा बाई की नगर पर आक्रमण कर दिया था, लड़ाई के दौरान बिलासा बाई के पति और प्रधान सेनापति वीरगति को प्राप्त हुए थे.
यह जानकारी जब बिलासा बाई को मिली तो बिलासा बाई स्वयं शत्रुओं से लड़ने के लिए मैदान में आ गई लेकिन बाहरी शत्रु सैनिकों की संख्या अधिक होने के कारण बिलासा बाई उस लड़ाई को जीत नहीं सकी और वहां पर वीरगति को प्राप्त हो गई.
यह घटना के बारे में जब राजा कल्याण साय को पता चला तब वह बहुत ही दुख हुए उन्होंने अपने बड़े सैनिक फ़ौज के साथ बिलासपुर जो की बिलासा बाई का नगर हो चुका था उसका मोर्चा संभाला और फिर वहां पर आक्रमण किए हुए बाहरी शासक को खदेड़ दिया अर्थात उसको आक्रमण कर भगा दिया |
इस तरह वीरांगना बिलासा बाई के नाम पर बिलासपुर शहर अस्तित्व में आया बिलासपुर शहर के लोग आज भी वीरांगना बिलासा बाई को किसी न किसी रूप में याद करते हैं
bilaspur history बिलास्पुर का इतिहास
bilaspur information ऐतिहासिक रूप से बिलासपुर रतनपुर के कलचुरी राजवंश का एक भाग था इस शहर का मूल स्वरूप 1774 के आसपास मराठा राजवंश के समय आया था यहां पर मराठा राजवंश ने अनेकों किलो का निर्माण भी कराया था जो कि कभी पूरा नहीं हो सका
1854 इस सन में ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी बिलासपुर पर स्थापित कर लिया इसके पूर्व यहां मराठा के अधीन पर था. बिलासपुर का अधिग्रहण तब सामने आया जब इस क्षेत्र के भोंसले राजा जो नागपुर राजवंश थे निसंतान मृत्यु को प्राप्त हो गए थे ।
इम्पीरियल गज़ेटियर ऑफ़ इंडिया के अनुसार इस शहर का नाम 'बिलासपुर', सत्रहवीं शताब्दी की मत्स्य-महिला 'बिलासा' के नाम पर पड़ा। बिलासपुर के बारे में माना जाता है की यह लम्बे समय तक मछुवारों की बस्ती रहा है। बिलासपुर जिले का गठन 1861 मैं हुआ तथा बिलासपुर नगर निगम 1867 में अस्तित्व में आया 1901 मैं बिलासपुर की जनसंख्या 18,937 थी जो कि ब्रिटिश राज के केंद्रीय सूबे में आठवीं सबसे बड़ी थी
भौगोलिक स्थिति
बिलासपुर २२.२३(22.23) अंश उत्तर तथा ८२.०८(82.08) अंश में स्थित है। समुद्री तल से इसकी औसत ऊंचाई २६४ (264) मीटर (८६६ फीट 866 ) है। वर्षाधारित अरपा नदी इस जिले की जीवनरेखा मानी जाती है, जिसका उद्गम मध्य भारत के मैकल पर्वत श्रेणियों से होता है।
बिलासपुर के उत्तर में कोरिया तथा शहडोल जिला, पश्चिम में मुंगेली, दक्षिण में बलौदाबाजार भाटापारा तथा पूर्व में कोरबा एवं जांजगीर-चाम्पा जिले स्थित हैं।
आवागमन - रेलवे :-
बिलासपुर रेलवे स्टेशन छत्तीसगढ़ के व्यस्ततम् रेलमार्गों में से एक है और मध्य भारत में चौथा सबसे व्यस्त रेलमार्ग है। दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे जोन का मुख्यालय भी बिलासपुर में ही स्थित है।
यह भारत के लगभग सभी राज्यों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राजधानी एक्सप्रेस बिलासपुर से नयी दिल्ली को जोड़ती है। बिलासपुर स्टेशन हावड़ा-मुंबई मार्ग के टाटानगर-बिलासपुर सेक्शन का एक मुख्य स्टेशन है। दूसरी महत्त्वपूर्ण रेल लाइन बिलासपुर-कटनी है।
अन्य मुख्य रेलवे स्टेशन हैं:
- पेंड्रारोड
- उस्लापुर
- चकरभाटा
- दाधापारा
- गतोरा
बिलासपुर में ही दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है, जिसके अंतर्गत बिलासपुर, रायपुर एवं नागपुर मंडल आते हैं।
सड़क यातायात :-
बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग जाल के द्वारा मुंबई तथा कोलकाता से जुडा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक -१३० (130) इसे रायपुर से जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-१११ (111) बिलासपुर से प्रारंभ होता है जो कि अंबिकापुर तथा वाराणसी को जोड़ता है।
अन्य राजकीय राजमार्गों में राजमार्ग ७ (7) बिलासपुर से जबलपुर को जोड़ता है व्हाया मुंगेली-कवर्धा-मंडला तथा राजकीय राजमार्ग ५ बिलासपुर को अमरकंटक-शहडोल-अलाहाबाद से जोड़ता है। स्थानीय यातायात के लिए ऑटो-रिक्शा या फिर मानव् चालित रिक्शा भी उपलब्ध हैं। हालाँकि सुनियोजित योजना के अभावों के कारण यातायात में बाधा एक आम समस्या बनी हुई है।
बस:-
बिलासपुर से राज्य के लगभग सभी हिस्सों को जोड़ने के लिए बस सेवाएं उपलब्ध हैं। अंतर्राज्यीय बस सुविधा भी उपलब्ध है जो कि देश के विभिन्न राज्यों से बिलासपुर को जोड़ता है। हाल ही में बढ़ते हुए यातायात को देखते हुए एक नया बस-अड्डा तिफरा नामक स्थान में स्थापित किया गया है। इसमें उपलब्ध सुविधाओं के कारण इसे हाई-टेक बस अड्डा कहा जाता है। शहर के मुख्य मार्गों पर सिटी-बस की सुविधा भी शुरू की गयी है।
हवाई अड्डा Bilaspur information
Bilaspur information :- बिलासपुर शहर से निकटतम हवाई अड्डा रायपुर स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा लगभग १३१ किलोमीटर की दूरी पर है। बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों से गरीब और धीमी गति से सड़क संपर्क, यह रायपुर हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए ३-४ घंटे लग सकते हैं। रायपुर हवाई अड्डे से इंडिगो, जेट एयरवेज और एयर इंडिया के दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, नागपुर, हैदराबाद, इंदौर, कोलकाता, भोपाल, और विशाखापट्नम के लिए नियमित उड़ानें हैं।
बिलासपुर मे वीआईपी और सैन्य संचालन के लिए चकरभाटा हवाई अड्डे पर एक हवाई पट्टी है। अतिरिक्त 2 हवाई पट्टियों- कोटा रोड (मोहनभाटा हवाई पट्टी) और Mulmula पर हैं। इन हवाई पट्टियाँ भारत के रक्षा मंत्रालय के अधीन हैं और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अप्रयुक्त रही हैं।
बिलासपुर और छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली, मुंबई, बंगलौर आदि के लिए सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए वाणिज्यिक और नागरिक हवाई अड्डे की जरूरत है। तथा इसी को ध्यान में रखते हुए उड़ान योजना के अंतर्गत बिलासपुर में हवाई अड्डे का निर्माण किया जा रहा है जो लगभग पूरा हो गया है तथा लाइसेंस भी मिल चुका है तथा यहाँ से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता ,चैन्नई ,बैंगलूरू,भुवनेश्वर,नागपुर,इंदौर,भोपाल,रांची विशाखापटनम,तथा भारत के अन्य प्रमुख शहरों के लिए फ्लाइटें चलानें की योजना प्रस्तावित है।
बिलासपुर शहर के भीतर दर्शनीय स्थान _
- विवेकानंद उद्यान
- दीनदयाल उद्यान
- उर्जा-पार्क
- स्मृति-वन
- यातायात-पार्क (बिलासपुर-सीपत रोड के लगरा ग्राम में स्थित)
- बिलासा ताल
- रामकृष्ण आश्रम (कोनी)
- अरपा रिवर व्यू
- स्मृति वाटिका
- काली मंदिर तिफरा
- महामाया मन्दिर नगोई (नौगई) ग्राम पंचायत नगोई
- वाटर पार्क (तिफरा)
- वंडर वर्ल्ड
पर्यटन-आकर्षण
- मल्हार-ऐतिहासिक महत्त्व
- अमरकंटक-नर्मदा और सोन नदी का उद्गम
- कानन-पेंडारी चिड़ियाघर
- ताला गाँव-रूद्र शिव की प्रतिमा
- सेतगंगा का श्रीरामजानकी मन्दिर
- रतनपुर का महामाया मन्दिर
- अय्यप्प मन्दिर, तिफरा पुल के पास
- खुडिया एवं खूटाघाट बाँध, रतनपुर
- रानी सती मन्दिर
- मनोरंजन पार्क: विवेका नंद उद्यान( कंपनी गार्डन), स्म्रीति उद्यान( ऊर्जा पार्क)
- अचानकमार वाइल्डलाइफ सेंचुरी एवं टाइगर रिज़र्व
- चैत्तुरगढ, पाली, कोरबा
- मरीमाई मंदिर भनवारटंक
- नर्मदा धाम बेलपान
- विजयपुर किला
शिक्षा
समय के साथ बिलासपुर छत्तीसगढ़ के एक शिक्षा-केंद्र के भी रूप में उभरा है। बिलासपुर के मुख्य विश्वविद्यालयओं एवं महाविद्यालयों का विवरण निम्नानुसार है :
विश्वविद्यालय
- गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोनी
- मुख्य लेख: गुरू घासीदास विश्वविद्यालय
- बिलासपुर विश्वविद्यालय, सेंदरी
- मुख्य लेख: बिलासपुर विश्वविद्यालय
- पंडित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय
- सी.व्ही.रमन विश्वविद्यालय, कोटा
महाविद्यालय
- छितानी-मितानी दुबे महाविद्यालय, लिंक रोड[
- पंडित द्वारिका प्रसाद विप्र महाविद्यालय, पुराना हाई कोर्ट रोड
- ठाकुर छेदीलाल बेरिस्टर कृषि महाविद्यालय, कोनी
- नलिनी प्रभा देव प्रसाद राय महाविद्यालय, अशोक नगर
- बिलासा कन्या महाविद्यालय, सिविल लाइन्स
- ई.राघवेन्द्र राव विज्ञान महाविद्यालय, सीपत रोड
- शासकीय माता शबरी महाविद्यालय नवीन कन्या महाविद्यालय
- जमुना प्रसाद वर्मा स्नातकोत्तर कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय
- शान्ति निकेतन महाविद्यालय
- डी.एल.एस. महाविद्यालय
- चिकित्सा महाविद्यालय
- छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान[
- त्रिवेणी दन्त चिकित्सा महाविद्यालय
- अभियांत्रिकी महाविद्यालय
- गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, बिलासपुर[
- चौकसी अभियांत्रिकी महाविद्यालय, मस्तुरी रोड, लालखदान[
- जे.के. इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
- लख्मी चंद इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
-
प्रमुख विद्यालय
- सरस्वती शिशु मन्दिर, तिलक नगर
- सरस्वती शिशु मन्दिर, अशोक नगर
- सरस्वती शिशु मन्दिर, राजकिशोर-नगर
- सरस्वती शिशु मन्दिर, जुना-बिलासपुर
- सरस्वती शिशु मन्दिर,धनियॉ
- डी.ए.व्ही. पब्लिक स्कूल, वसंत विहार
- बाल –भारती पब्लिक स्कूल एन.टी.पी.सी, सीपत
- दिल्ली पब्लिक स्कूल
- दी जैन इंटरनेशनल स्कूल, मुंगेली रोड, सकरी
- भारत माता इंग्लिश मध्यम स्कूल, रेलवे परिक्षेत्र
- बर्जेश इंग्लिश मध्यम स्कूल
- ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल
- महर्षि विद्या मन्दिर, मंगला
- मिशन स्कूल
- सेंट जेविएर्स स्कूल
- सेंट फ्रांसिस स्कूल
- सेंट जोसेफ स्कूल
- Dav LCIT Public School
शासकीय विद्यालय
- जवाहर नवोदय विद्यालय, मल्हार
- केंद्रीय विद्यालय, तोरवा
- शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, गाँधी-चौक
- लाला बहादुर शास्त्री उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
- देवकी नंदन कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
- कन्या-शाला, सरकंडा
- लाला लाजपत राय विद्यालय, खपरगंज
- तारबहार शासकीय विद्यालय, तारबहार
- पंडित रामदुलारे दुबे उच्चतर माध्यमिक, सरकंडा
- छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय
छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय का गठन मध्य-प्रदेश पुनर्गठन नियम, २००० (2000) से हुआ तथा इसे देश के १९वें उच्च-न्यायालय के रूप में मान्यता मिली। प्रथम मुख्य न्यायधीश श्री आर.एस. गर्ग थे। वर्तमान में यहाँ जजों के १८ (18) पद स्वीकृत हैं। इसकी कोई खंडपीठ नहीं है।
रेडियो-स्टेशन
१. आकाशवाणी १०३.२ (103.2) मेगाहर्ट्ज़ २. ९४.३, (94.3) माई-एफ-एम,
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