Chhattisgarhi Hashya Kavita Daru Bhatti Kavita CG Kavita
घुमेबर चलदेंव मेंह एकदिन गउ दारु भट्ठी म
का मोहनी डराय रथे बाटल अदधी अउ चपटी म
देखेव जाके जब अनर बनर
पियत बइठे सब जतर कतर
चांटत रहे नुन पीये के हे धुन
चाबवत चना ल कटर कटर
चलायके नंइहे सकति फेर चड़के जावै फटफट्टी म
का मोहनी डराय रथे बाटल अदधी अउ चपटी म
सुआरी लइका के मोह नंइहे
दानापानी के थोर संसो नंइहे
लगेहे लत इंहां पियकड़ु के
कोनों चाहे अब कहीं कइहे
पीयेबर पइसा निही त पइसा भिड़ाय चोरकट्टी म
का मोहनी डराय रथे बाटल अदधी अउ चपटी म
हर पियकड़ु जेब म अधार धरथे
पइसा नी रही जोगड़ कोनो करथे
संगवारी खोजथे पियकड़ु अपन
जीते जीयत पीही पीते पीयत मरथे
अलप समय पियइया ल जात देखेव मरघट्टी म
का मोहनी डराय रथे बाटल अदधी चपटी म
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