Pundit D.P Vipra Author Lekh Tola Dekhe Rahev Ga CG Poem Shayari
लेखक – पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र
तोला देखे रहेंव गा, तोला देखे रहेंव रे,
धमनी के हाट मां, बोइट तरी रे।
लकर धकर आये होही,
आँखी ला मटकाये।
कइसे जादू करे मोला
सुक्खा मां रिझाये।।
चुन्दी मां तैं चोंगी खोंचे
झुलुप ला बगराये।
चकमक अउ सोल मां तैंय
चोंगी ला सपचाये।।
चोंगी पीये बइठे बइठे
माड़ी ला लमाये।
घेरी बेरी देखे मोला,
दासी मां लोभाये।।
चना मुर्रा लिहे खातिक
मटक के तँय आये।
एक टक निहारे मोला
वही तँय बनाये।।
बोइर तरी बइठे बइहा,
चना मुर्रा खाये।
सुटुर सुटुर रेंगे कइसे
बोले न बताये।।
जात भर ले देखेंव तोला,
आँखी ला गड़ियाये।
भूले भटके तउने दिन ले
धमनी हाट नइ आये।।
तोला देखे रहेंव….
लेखक – पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र
पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी जी का जन्म सन् 1908 में बिलासपुर में हुआ था।
शुरु से ही उन्हें छत्तीसगढ़ के लोक परंपराओं और लोकगीतों में रुची थी। शुरु में ब्रजभाषा और खड़ी बोली में रचना करते थे। बाद में छत्तीसगढ़ी में लिखना शुरु किये।
उनकी प्रकाशित पुस्तके हैं –
1. कुछू कांही 2. राम अउ केंवट संग्रह 3. कांग्रेस विजय आल्हा 4. शिव-स्तुति 5. गाँधी गीत 6. फागुन गीत 7. डबकत गीत 8. सुराज गीता 9. क्रांति प्रवेश 10. पंचवर्षीय योजना गीत 11. गोस्वामी तुलसीदास (जीवनी) 12. महाकवि कालिदास कीर्ति 13. छत्तीसगढ़ी साहित्य को डॉ. विनय पाठक की देन।
विप्रजी प्रेम, ॠंगार, देशभक्ति, हास्य व्यंग्य सभी विषयों पर लिखी है।
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