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CG Kavita Latest in Chhattisgarhi सीजी कविता लेटेस्ट कलेक्शन

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    CG Kavita Latest in Chhattisgarhi Top Collection

    CG Kavita Latest in Chhattisgarhi
    CG Kavita Latest in Chhattisgarhi सीजी कविता लेटेस्ट कलेक्शन

    रोवत रोवत कई रात बीत गे ।

    सावन-भादो बरसात बीत गे ।

    थमते नई’हे मोर आंखी के आंसु ।।

    आउ कतेक ले आंसु बोहावंव मै ।।

    मया करे हौं मया के आस मे ।

    दुनिया छोड़ेंव तोर विश्वास मे ।

    मोर मन के हर एक सपना टुटगे ।।

    अईसे, कब तक ले पछतावंव मै ।।

    आउ कतेक ले आंसु बोहावंव मै ।।

    मोर हिरदे मे तै अईसे समाए ।

    बईठे रहिथंव मै सुरता लमाए ।

    नई छोड़े दिन भर गोरी तोर याद ।।

    नींद में भी तोला ही गोहरावंव मै ।।

    आउ कतेक ले आंसु बोहावंव मै ।।

    मया के फुल कुचल दिए तै ।

    छोड़ के मोला, चल दिए तै ।

    हर आदमी मतलबी हावय संगी ।।

    अब तो कोन ल हाल सुनावंव मै ।।

    आउ कतेक ले आंसु बोहावंव मै ।।

    पगला दिवाना, नाम मिले हे ।

    कतका सुघ्घर ईनाम मिले हे ।

    अब मोर भलाई रे इही मे हावय ।।

    दिल कोनो-संग, झन लगावंव मै ।।

    आउ कतेक ले आंसु बोहावंव मै ।।

    CG Kavita Lekhak Krishna Parkar - Bilaspur

    दिन भर रहिथे अहसास तोर मया के ।

    गुरतुर ही लागथे मिठास तोर मया के ।

    जिनगी मे आए गोरी, जोगनी बन के ।

    तन मन मे बगरे, प्रकाश तोर मया के ।

    कर’के नजारा मोर मन नई तो मानय ।

    बात कुछ तो होही खास तोर मया के ।

    तै कहुं गुजरे कभु, मोर आस पास ले ।

    हो-जाथे मोला, आभास तोर मया के ।

    बन के बहार गोरी, कब तै बरसबे वो ।

    बड़ दिन के हावय आस तोर मया के ।

    भले मोर जिनगी, रहय के झन रहय ।

    मिटय नही पगली प्यास तोर मया के ।


    रचनाकार – कृष्णा पारकर , बिलासपुर।

    CG Kavita Write By Sanjay Nishad - Mahasamund

    अओ लजवंती ………

    थोकिन देखना मोर कोती ।।

    मया संदेशा भेजना मोर कोती।

    गोंदा-गुलाब फेकना मोर कोती।

    पिरित नेती नेतना मोर कोती ।

    अओ, अओ, लजवंती………

    नैना अंजोर चंदा सुरुज जोती ।

    दांत चमकय जैसे हिरा मोती ।

    तोर पियर लुगरा मोर सादा धोती।

    ध्यान हमेशा रहे गोरी मोर कोती ।

    अओ, लजवंती थोकिन देखना मोर कोती…..


    रचनाकार – संजय निषाद, ग्राम-मुस्की महासमुन्द।

    CG Kavita Writen By Krishna Parker - Bilaspur

    खड़े रहेंव आज मै,सड़क किनारे ।।

    तै रेंगत रेंगत मोला तिरछी निहारे ।।

    नैना झुकाए रे गोरी देख के मोला ।।

    का तै अपन मन मा, सोंचे बिचारे ।।

    तहुं अकेली रहे, रहेंव मै अकेल्ला ।।

    तभी मोला लगत हे, तै चांस-मारे ।।

    तोर अहसान,भुलावंव नही गोरी ।।

    सपना मे आके मोर सपना सँवारे ।।

    आज-तक, सबले छुपा के राखेवं ।।

    मोर मन’के बात ल तहुं जान डारे ।।

    तै रेंगत रेंगत मोला तिरछी निहारे ।।


    रचनाकार – कृष्णा पारकर, बिलासपुर।

    Cg Kavita Lekhak Nohar Arya x Dist Balod

    गजब संहरायेंव तोला, मय ह अपन जान के।

    हाथ छोड़ाके चल दे तय, बइरी असन मान के ।।

    सपना देखाए मोला, रइहौं तोर बन के।

    मया के झूलना झलहूँ, का करहूँ धन के ।।

    ठगनी कस ठगे मोला,,,,,,, करगा असन धान के,,

    हाथ छोड़ाके,,,,,,,बइरी असन मान के!!

    गजब संहरायेंव,,,,,,, ,,,,,,अपन जानके!!

    दगा दे नइ हंव राजा, ठगे नइ हंव तोला ग।

    मोर परान ले पिरिया हावे, तोर मया के किरिया ग।।

    आज ले मोर हिरदे गाथे,,,,,,,, तोरेच मया के गान ग!!

    सुने बर कान तरस गे, तोर बंसरी के तान ग!!

    गजब संहरायेंव,,,,बइरी असन मान के!!

    मया वाले ल मिलथे , मया बलदा मया वो।

    मोर भाग म मया नइहे, कहाँ खोजंव कांशी गया वो।।

    भोग लेहूँ सरी उमर मय,,,,,,, बिधि के बिधान वो!!

    हाथ छोड़ा के,,,,,बइरी असन मानके!!

    गजब संहरायेंव,,,,,,,,,,अपन जानके!!


    रचनाकार – नोहर आर्य, फरदडीह, जिला बालोद।

    Krishna Parker CG Kavita

    दिल टुटे के कारण पूछत हे !!

    संग छुटे के कारण पूछत हे !!

    कईसे बतावंव संगी अपन कहानी ।।

    माड़ी भर नरवा के, मुड़ भर पानी ।।

    मन तो करथे याद झन करवं !!

    बाकी दिन बरबाद झन करवं !!

    पवन-पुरवईया तोर सुरता लेआथे ।।

    हो जथे सुरता मे दिल चानी-चानी ।।

    माड़ी भर नरवा के, मुड़ भर पानी ।।

    पीरा होथे अईसे सहाय नही !!

    चुप भी रहिबे तो रहाय नही !!

    दिल के दरद जब ज्यादा हो जाथे ।।

    छलक तो जाथे, पीरा मुह जुबानी ।।

    माड़ी भर नरवा के, मुड़ भर पानी ।।

    वोईसे हर दिन सांस चलत हे !!

    लेकिन” तोर जुदाई खलत हे !!

    ये जिनगी तोर बिना, जिनगी कहां ।।

    जैसे तैसे कर के, खपत हे जवानी ।।

    कईसे बतावंव संगी अपन कहानी ।।


    रचनाकार – कृष्णा पारकर, बिलासपुर।

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